क्या अपने कभी सोचा है की अगर कभी आपको पुलिस पकड़ के ले जाए या आपको कभी किसी मामले में जेल जाना पड़े तो आपको कोर्ट से बैल कैसे मिलती है ? या कैसे आप जेल से बहार आ सकते है क्या क़ानूनी तरीका होता है इसके बारे में बात करते है। इस आर्टिकल को आखिर तक पड़ना आखिर में आपको और एक महत्वपूर्ण बात पता चलेंगी।
नियमित जमानत / रेगुलर बैल क्या है :- यहाँ जमानत का मतलब बैल होता है, यानी किसी व्यक्ति पर कोई मुक्तमा दर्ज हो जाए यानि की किसी तहर की केस हो जाए और उसे जेल भेज दिया जाए तो उस व्यक्ति को जेल से बाहर निकालने के लिए रेगुलर बैल यानि नियमित जमानत करवानी पड़ती है । साथ ही में ये भी जान लीजिये की उसे कुछ समय के लिए बहार निकाला जाता है ताकि वो अपना केस/मुकदमा सही तरह से लड़ सके और उसे जेल में पीड़ित ना होना पड़े।
नियमित जमानत किस मामले में दी जाती है ?
इसमें आपको 2 प्रकार होते है
1. जमानती अपराध:
क़ानूनी अधिकार:- धारा 436 सीआरपीसी
अर्थ :- धारा 436 के तहत अगर अपने कोई ऐसा अपराध किया हो जब को मामूली हो तो आपको बैल मिल जायेगी।
जामनत कहा से मिलती है:-
लोवर कोर्ट, सेशन कोर्ट और पुलिस स्टेशन द्वारा।
क़ानूनी अधिकार:- धारा 436 सीआरपीसी
अर्थ :- धारा 436 के तहत अगर अपने कोई ऐसा अपराध किया हो जब को मामूली हो तो आपको बैल मिल जायेगी।
जामनत कहा से मिलती है:-
लोवर कोर्ट, सेशन कोर्ट और पुलिस स्टेशन द्वारा।
2. गैर- जमानती अपराध:
क़ानूनी धाराएं :- धारा 437 सीआरपीसी
अर्थ:- यह धारा तब लगायी जाती हैजब अपराधि ने बहोत बड़े गुन्हा जैसे की बलत्कार, हत्या या देशद्रोह किया हो
जामनत कहा से मिलती है:-
ये फैसला अदालत के मर्जी या उन्ह के विवेकनुसार होता है।
अर्थ:- यह धारा तब लगायी जाती हैजब अपराधि ने बहोत बड़े गुन्हा जैसे की बलत्कार, हत्या या देशद्रोह किया हो
जामनत कहा से मिलती है:-
ये फैसला अदालत के मर्जी या उन्ह के विवेकनुसार होता है।
तो यहाँ तक तो आपको समझ में आ गया होगा की बैल/ जमानत क्या होती है तो अब ये भी जान लीजिये की आपको कोर्ट से बैल कैसे मिलती है।
जमानत के लिए क्या करे ?:-
१. सबसे पहले आपके विस्तार के किसी भी कनिष्ठ/छोटा अदालत में बैल का एप्लीकेशन डालना पड़ेगा जो की भारतीय संविधान के तहत धारा 437 में आता है।
२. कनिष्ठ अदालत ( Lower Court ) आपकी अपील नामंजूर करती है तो आपको वही बैल आपको सेसन कोर्ट में डालनी पड़ेगी लेकिन यहाँ पर धारा बदल जाती है धारा 439 हो जाएंगी।
३. लेकिन अगर किसी कारण से सेशन कोर्ट तक आपकी जमानत ख़ारिज मतलब आपको बैल देने से मना कर दे तो आप डायरेक्ट उच्च अदालत ( High Court ) में जाकर अपील कर सकते है, और यहाँ पर वही सेक्शन/ धारा लागू होती है जो सेशन कोर्ट में थी। लेकिन यहाँ ज्यादा चिंता न करे जुर्म ज्यादा बड़ा ना हो तो कनिष्ठ अदालत में ही जमानत मिल जाती है।
४. जैसे ही कोर्ट आपकी बैल को मंजूर करके आपको बैल दे दे तो इसका मतलब ये नहीं होता की आपको जेल से छोड़ दिया जाएगा; ऐसा बिलकुल नहीं है आपको एक बैल बॉण्ड भरना पड़ेगा।
५. जैसे ही आप बैल बॉण्ड भरते है, तब अदालत आपको एक निश्चित राशि का भुगतान करेने के लिए कहेंगी जो की आपको करना ही पड़ेगा वो राशि नकद या संपत्ति के रूप में भी हो सकती है।
६. आखिर में जमानत के दौरान जो बॉण्ड आपसे भरवाया गया था और साथ ही में जो राशि आपसे मांगी गयी थी वो सब जेल में भेजा जाता है।
७. जहा पर पुलिस ये सारे दस्तावेज जमा होते है और पुलिस इसकी जांच करती है और आखिर में आपको छौड़ा जाता है।
बोनस टिप :-
अगर यहाँ पर एक इसी बैल भी है जिसके लिए आपको जैल भी नहीं जाना पड़ेगा इसे कहते है अग्रिम जमानत इंग्लिश में "ANTICIPATORY BAIL" इसके बारे में मेने आपको पहले भी एक आर्टिकल में बताया है उसे भी एक बार जरूर पड़े। तो अग्रिम जमानत एंव Anticipatory bail का मतलब है की आपको पता चलता है की आपके खिलाफ किसी ने FIR या कोई भी COMPLAINT दर्ज कर दी है या फिर आपको आभाष है की आपके खिलाफ कोई मुक़दमा पंजीकृत (Registered) करवा दिया गया है। तो आप जल्द से जल्द कोर्ट जाइये और अग्रिम जमात/ anticipatory bail के लिए आवेदन कर दीजिये। लेकिन ये याद रखे अगर आपने कोई ऐसा जुर्म किया हो जिससे की 10 साल की सजा मिलती हो तो आपको anticipatory bail अथवा अग्रिम जमानत मिल जायेंगी और आपको जेल भी नहीं जाना पड़ेगा। अगर ऐसा हुआ कोई पुलिस आपको लेने भी आये तो आप उंन्हे वो बैल दिखा देना ।
ये सारी बाते जो में आपको बताता हूँ वो बहोत दिनों की रीसर्च होती है और साथ ही में आपको Legal Education मिलता रहे इसका में ध्यान रखुगा।
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